Friday, January 28, 2011

हे खुदा (28th Jan 2011)

हर शक्श का ताल्लुक दर्द से ज्यादा खुशी से कम क्यों होता है
तेरे बनाये हुए इस जहान में खुदा ऐसा क्यों होता है
चंद अमीर और सारे यहाँ पर गरीब क्यों होता है
तेरे बनाये हुए इस जहान में खुदा ऐसा ही क्यों होता है...

जी नहीं पाता है चैन से अमीर इस उजड़ेबुन से
कि वह अपना दौलत छुपाये तो छुपाये कहाँ
एक गरीब है कि मरता रहता है जीवन भर
दौलत पाने के उम्मीद में वो उम्मीद भी नहीं छोड़ता है
हे खुदा तेरे बनाये हुए इस जहान में ऐसा ही क्यों होता है...

--- स्वरचित ---

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