Wednesday, January 19, 2011

अर्ज करता हूँ... (20th jan 2011)

दर्द का आलम भी क्या आलम है 'डी'
जब बांटना सीख गए औरो की...
तो मिलता है सुकून इस दर्द-ए-दिल को...
बयां करें भी तो न समझ सकेगी ये दुनियावाले ...

--- स्वरचित ---

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