Wednesday, January 26, 2011

पल (27th Jan 2011)

कष्ट उठाना तो अब ज़िन्दगी बन गयी है!
कुछ पल ख़ुशी के मिल जाये, 'डी' ज़िन्दगी गुजर जाएगी!!

प्यासे हिरन की तरह ढूँढ रहा है हर कोई!
पल हर पल मिलता भी है तो बस तृष्णा चारो ओर!!

पल गुजर जाता है,
पल फिर से आता है!
पल पल मगर जीना,
मौत के और करीब लाता है!!

--- स्वरचित ---

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