Monday, January 30, 2012

क्यों भगवान तूने ऐसी दुनियाँ बनाई...

गरीबी में दम बहुत घुटता है भाई
क्यों भगवान तूने ऐसी दुनियाँ बनाई...

गरीबों को देकर सोने का दिल
ज़िन्दगी तूने उनकी हर पल मिटाई

रोता नहीं कभी गरीबों की महफ़िल
गर देता था तू अमीरों को बड़ा दिल

गरीबी में दम बहुत घुटता है भाई
क्यों भगवान तूने ऐसी दुनियाँ बनाई...

गरीब तुम्हें तो करता सदा याद है
उनकी मुश्किल बढ़ाना तो आम बात है

करता है तिजोरी में बंद जो तुझे
उन्हीं का तू देता हर पल साथ है

गरीबों को तुम देते हो हर पल मौत
और देते हो हर पल अमीरों को सौग़ात    

गरीबी में दम बहुत घुटता है भाई
क्यों भगवान तूने ऐसी दुनियाँ बनाई...

हे भगवान ये कैसी है दुनियाँ तूने बनाई
जहाँ हर ओर है बस खाई ही खाई...

--- स्वरचित ---
२ ० - ० १ - २ ० १ २ 

Friday, January 27, 2012

दर्द / PAIN

(English translation is given below the Original)

इतने आँसू हैं दुनियाँ में क्यों ?
ऐ खुदा, तुझे तो सब पूजते हैं ! 
कहतें तू हैं रहमत का पुजारी,
बता तेरी दुनियाँ में इतना है दर्द क्यों ?

--- स्वरचित --- 
२ ७ - ० १ - २ ० १ २

Why there is so much tears in the world ?
O God, everybody worships you !
They say you are oh so kind,
Tell us why there is so much pain in your world?

--- Johnny D ---
2 7 - 0 1 - 2 0 1 2

Thursday, January 26, 2012

दिल / Heart

(English translation is below the Original)

मैंने अपने खुदा से पूच्छा
ये दिल क्यों धड़कता है?
मेरे खुदा ने कहा 'डी'
क्यूँकि ये हर पल उत्कंठित है!    

--- स्वरचित ---
२ ६ - ० १ - २ ० १ २

I asked my God
Why does the heart beat?
My God said 'D'
Because every moment it yearns!

--- Johnny D ---
2 6 - 0 1 - 2 0 1 2

 

Wednesday, January 25, 2012

अर्ज है...

(English translation is given below the Original)

उस दिल से कभी तुम पूच्छो,
जिस दिल को मिला न खुलूस!
आँसूं भी रो देंगे ज़रूर, 
बनाया क्यों फिर खुदा ने खुलूस!!

--- स्वरचित ---
२ ५ - ० १ - २ ० १ २  

Ask that heart some time,
Which never got love.
Even tears will cry for sure,
Then why did God created love.

--- Johnny D ---
2 5 - 0 1 - 2 0 1 2

Monday, January 23, 2012

मैं न बन सका उस भीड़ का पात्र

मैं न बन सका उस भीड़ का पात्र
जिस भीड़ में न था जीवन की एक लौ...

हर शक्श, बस चला जा रहा था ख्यालों में खोया
हर चेहरे पर था बस शिकन-ही-शिकन

मैं न बन सका उस भीड़ का पात्र
जिस भीड़ में न था जीवन की एक लौ...

हर कोई, बस कर रहा था शिकायत दिनचर्या की
हर चेहरे पर था उदासी की लकीरें झलकती 

मैं न बन सका उस भीड़ का पात्र
जिस भीड़ में न था जीवन की एक लौ...

असमंजस मैं खड़ा, गौर से हर एक को देख कर सोचने लगा
क्या यही जीवन है? कहाँ हुई हम इंसानों से गलती?

मैं न बन सका उस भीड़ का पात्र
जिस भीड़ में न था जीवन की एक लौ...

समझ नहीं आया मौत से मिलने की कैसी ये बेक़रारी?
हर कोई जो भाग रहा था जल्दी-जल्दी
 
मैं न बन सका उस भीड़ का पात्र
जिस भीड़ में न था जीवन की एक लौ...

--- स्वरचित ---
२ ३ - ० १ - २ ० १ २

Tuesday, January 10, 2012

अर्ज है...

(English translation is given below the Original)

ग़म नहीं होता अगर,
तो ख़ुशी का इज़हार हम करते कैसे?
ख़ुशी नहीं होती अगर,
तो ग़म के हम आदि हो गए होते!


--- स्वरचित --

If there were no sorrows,
How would we express happiness?
If there were no happiness,
We would have been habitual of sorrows!


--- Johnny D ---

Saturday, January 7, 2012

अर्ज है...

पौधों से सुई की नोक तक  
धागों में पीरोही गई,
ध्यान से
गजरा सजाती है,
काली-काली लटों को कि
मदहोश हो जायें आशिक़
चमेली की खुशबू से..

--- स्वरचित ---
६ - १ - २ ० १ २ 

Tuesday, January 3, 2012

नासूर को खुलूस से...

यादों के सलाखों से, तुम्हें जब आज़ाद मैं करता हूँ
हर पल न जाने क्यों, बस तुम्हें ही याद करता हूँ

दिल को बहलाने-समझाने, ऐसा मैं रोज करता हूँ
तुम न रही इन बाँहों में, आलिंगन मैं खाली करता हूँ

बंद न हो जाएँ ये पलकें, खुदा से दुआएं रोज करता हूँ
पल-पल इन आँखों में, अश्रुओं को रोके रखता हूँ

हैं दूरियाँ भी ये कैसी, हम दोनों के ही बीच सनम
दिल में मेरे, मैं नासूर को खुलूस से सिंचा करता हूँ

--- स्वरचित ---
३ - १ - २ ० १ २ 




Sunday, January 1, 2012

चमन मेरा / GARDEN OF MY LIFE

(English translation is below the Original)

बिखरा हुआ था चमन मेरा कुछ इस तरह
अहले-दिल में मगर हौसला था हर पल मेरे
पल-पल सिंचता रहा मैंने ज़मीन को दिल से
आज पहले अंकुर की लालिमा ने जन्म लिया है
नन्ही सी, प्यारी सी, उम्मीद की ये नई लहर
चमन उजड़ा सा जो था कभी मेरा दुनियावालों
कल इस चमन में होगी हरयाली जज़बातों के
खिलेंगे रंग-बिरंगे फूल खुशियों के 'डी' चमन में


--- स्वरचित ---
१ - १ - २ ० १ २  
     
GARDEN OF MY LIFE

In ruins, such was the garden of my life

My brave heart though was courageous at all times
Every second I irrigated the garden with all my heart
Today the first flush of seedlings originated by
Tender, sweet, this new wave of hope
O' citizen of the world, the garden that was in ruins
Tomorrow there will be greenery of emotions in plenty
Colorful flowers of happiness will bloom 'D' in the garden



--- Johnny D ---
1 - 1 - 2 0 1 2