Tuesday, May 31, 2011

तन्हाई

ऐ दुनियावालों, ऐसा ही क्यों होता है
'डी' ये दुनिया बस झूठा क्यों होता है
तन्हाई, बेसबब तन्हाई कैसे हो सकती है
तन्हाई में भी तो ख्यालों का साथ होता है



--- स्वरचित ---


Monday, May 30, 2011

अर्ज है...

तुम्हारी ख़ुशी में मैं शामिल न भी रहूँ, तो कोई बात नहीं
तुम्हारे दुःख में अगर साथ रहा मैं तो जहनसीब होगी 'डी' 


Sunday, May 29, 2011

यादें

तुम्हें भुला कर ही अब तो याद करतें हैं हम 
तुम हो कि हमें याद करते-करते भूल गयी 

भूल से याद आ भी जाती है अगर तुम्हारी
तो हम याद से तुम्हें भूलना पसंद करेंगे 'डी' 

हर यादों में एक भूल याद आती है अब तो 
ये भूल मगर कितनी अनोखी सी प्यारी थी 

आज, कल भी तो वहीँ थी, फिर क्यों 'डी'
कल का वो आज, कहीं खो गया है कहाँ 

चलते-चलते बहुत दूर निकल आयें हैं हम तो 
अब तो क्षितिज भी धुंधला सा दिखता है 'डी'

--- स्वरचित ---

अर्ज है...

चलते-चलते बहुत दूर निकल आयें हैं हम तो 
अब तो क्षितिज भी धुंधला सा दिखता है 'डी'

Saturday, May 28, 2011

अर्ज है...

दिल की आवाज़ है, आवाम तक पहुँचाना है 
सोकर भी अगर हमने जगा दिया दो-तीन को 
हमारा सो जाना खुदा की रहमत होगी 'डी'

--- स्वरचित ---

अर्ज है....


चिराग-ऐ-दिल तू खोजता है क्या
जल कर तो तूझे ख़ाक होना ही है
जब तक जले तू, जब तक जले तू
दुनिया को रोशन करता चल 'डी' 

--- स्वरचित --- 

अर्ज है...

चिराग के जलने से ही सब कुछ मिल नहीं जाता 
ऐ खुदा दिल दिया तो है, 'डी' किस काम का बता 

अर्ज है...

आज का दिन, है तेरा दिन
मन में हज़ार ख्वाहिश तू गिन 
पूरी होंगी दुआ है हमारी
आसमान में तारे 'डी' गिन ...

--- स्वरचित --- 

Friday, May 27, 2011

वर्धा में पहली बारिश

पहली बारिश से मिटटी की खुशबू
अनंत आनंद दिल में उमंग है 'डी'
वर्धा में घना बदल और हवाएँ तेज़ 
बरस रही है मद्धम-मद्धम ठंडी बूँदें 

-- स्वरचित -- 

Wednesday, May 25, 2011

जीवन और मृत्यु

आगोश मृत्यु का नहीं है खुलता
है जीवन ये जीवन तब तक 'डी'


सिमट जाना है सब को मगर
हर कोई है यहाँ पर बस जीता

हर कोई है जानता ये फलसफा
सत्य मगर से है हर कोई डरता

-- स्वरचित --

Sunday, May 22, 2011

अर्ज है.....

बड़े से प्याले में काला काफ्फी
बड़े से प्याले में काला काफ्फी
चुस्की मज़ेदार दोस्तों के साथ 
कैसे भूल जाऊं मैं वो दिन 'डी' 
जब गुजरती थी शाम कैफे में... 

Saturday, May 21, 2011

अर्ज है...

महंगाई तौली जाती अब सिर्फ करोड़ों में
कितना भला ज़माना था वो भी 'डी'
कितना भला ज़माना था वो भी 'डी'
जब एक आना में घर चल जाता था!!!

Inflation is weighed today in billions
How beautiful were those days 'd'
How beautiful were those days 'd'
When in ONE ANNA (6 paise) the whole expense of house were enough!


अर्ज है...


दर्द शायर का नहीं कोई है पहचानता
दर्द शायर का नहीं कोई है पहचानता
हर दर्द का सिला बज़्म-ऐ-इबादत  
वाह-वाही के गूँज में रह जाती है 'डी' 

Thursday, May 19, 2011

अर्ज है...

चाय के दो घूंट और गुफ्तगू हज़ार
साथ हो जब मेरे दोस्त और प्यार
पल थम सा जाता है मानो सदियाँ 
बयां करूँ तो कैसे 'डी' वो लम्हे मैं ...

अर्ज है...

उनके आँखों से एक एक मोती का गिरना
अपने आगोश में समेटों तो समेटों कैसे 'डी'


Wednesday, May 18, 2011

अर्ज है...

दिल को बाँट दे दो भागों में ऐ खुदा
हर भाग को तू भर दे खुलूस से मगर


अर्ज है...

हम तेरे आगे सर झुकाते ही रह गए ऐ खुदा 
छु कर जज्बातों को तूने बहुत कुछ है दिया  




अर्ज है...

खुलूस-खुलूस हर कोई चाहे दुनिया में 'डी'
मिलता है कहाँ ये कोई बताये तो सही हमें 


अर्ज है...

एक लहर ख़ुशी की देखो आ गयी 'डी'
आज दिल ने फिर याद किया है उसे 


अर्ज है...

उनके आंसूओं को मैंने मोती बनाकर सजाया है
जब भी मोतियों से खेलता हूँ मुस्कुरा देता हूँ 'डी'