Sunday, January 30, 2011

टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक... (31st Jan 2011)

टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...

चूल्हे पर उबल रही था दाल...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...
आँगन में रो रहा था तीन साल का नंग्तु...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...
माँ परेशानी में भी गुंध रही थी आटा...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...
खाना पक रहा था रसोई में...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...
भूख से व्याकुल नंग्तु आंसू बहाए जा रहा था..
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...
क्यों नहीं आये अभी तक वो खेत से...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...

समय...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...

दाल में छोंक लगा रही थी माँ...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...
नंग्तु के रुन्दन से परेशान माँ...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...
दौड़ता हुआ गाँव का एक बालक ...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...
हांफता हुआ नंग्तु के घर आया...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...
काकी, ओह काकी पुकारता...
टिक टॉक, टिक टॉक, टिक टॉक...
माँ साड़ी में हाथ पोंछती दरवाज़े पर...
टिक टॉक-टिक टॉक-टिक टॉक...

समय की रफ़्तार इतनी तेज़
टिक टॉक-टिक टॉक-टिक टॉक...

पहले कभी महसूस नहीं की माँ ने...
टिक टॉक-टिक टॉक-टिक टॉक...
बालक हांफता हुआ, काकी-काका...
समय थम सा जाता है...
टिक...टॉक......टिक......टॉक..........टिक........टॉक...
क्या हुआ रे श्यामू काका को...
टिक टॉक-टिक टॉक-टिक टॉक...
काका शेत मदे पडले आहे काकी...
टिक...टॉक......टिक......टॉक..........टिक........टॉक...

--- स्वरचित --- 

ये दिल... (30th Jan 2011)

ये दिल...

तुम तो चली गयी छोड़ कर मुझे
ये दिल मगर आज भी गुफ्तगू करता है तुमसे...

खफा होकर भी क्या इस दिल से निकल सकोगी
खफा होकर भी, क्या इस दिल से निकल सकोगी
इस छुप्पी से भी क्या तुम मुझे भुला सकोगी?

भूल गएं है वह जिन्हें हम रोज याद करते हैं
भूल गएं है वह, जिन्हें हम रोज याद करते हैं
याद करके वह रोज, 'डी' भूलने का नाटक करते हैं!

दिल्लगी से दर्द है अच्छा
दिल्लगी, से दर्द है अच्छा
फ़िज़ूल की गुफ्तगू से बेहतर है शायरी करना
फ़िज़ूल की गुफ्तगू से, बेहतर है शायरी करना
पल जो बर्बाद होकर दर्द में तब्दील होना था
पल, जो बर्बाद होकर दर्द में तब्दील होना था
इस से बेहतर तो 'डी' शायर बन जाना है अच्छा 

मुझे और ग़म दे सको तो खुदा रहमत होगी तेरी
मुझे और ग़म दे सको, तो खुदा रहमत होगी तेरी
इसी बहाने 'डी' शायरी दुनियावालों का दिल तो बहलाएगी!

--- स्वरचित --- 

अर्ज करता हूँ... (30th Jan 2011)

अर्ज करता हूँ...

हम को हँसता देखकर ज़माने ने बो डाले और भी काँटे पथ पर
हम को हँसता देखकर, ज़माने ने बो डाले और भी काँटे पथ पर!
उन्हें ये पता नहीं मगर, हम तो काँटो के सेज पर सोते हैं रोज!!

सैलाब ना आ जाये दुनिया में
सैलाब, ना आ जाये दुनिया में
दर्द को दिल में दबाकर इसीलिए जी रहें 'डी'

--- स्वरचित ---

Friday, January 28, 2011

CORRUPTION ANTHEM OF UPA... (28th Jan 2011)

CORRUPTION ANTHEM OF UPA...

गाडी चलाओ अब सब लोग बीयर से
बार में जाकर पियो अब प्यांज़ का रस
पेट्रोल से पकाओ अब तुम रोज खाना
ताकि मनमोहन, सोनिया और प्रणब गा सके
Corruption का नया गाना...

Corruption is growing at a superfast rate
Declares Manmohan India has opened its illegal gate
Catch them if you can...

--- स्वरचित ---


हे खुदा (28th Jan 2011)

हर शक्श का ताल्लुक दर्द से ज्यादा खुशी से कम क्यों होता है
तेरे बनाये हुए इस जहान में खुदा ऐसा क्यों होता है
चंद अमीर और सारे यहाँ पर गरीब क्यों होता है
तेरे बनाये हुए इस जहान में खुदा ऐसा ही क्यों होता है...

जी नहीं पाता है चैन से अमीर इस उजड़ेबुन से
कि वह अपना दौलत छुपाये तो छुपाये कहाँ
एक गरीब है कि मरता रहता है जीवन भर
दौलत पाने के उम्मीद में वो उम्मीद भी नहीं छोड़ता है
हे खुदा तेरे बनाये हुए इस जहान में ऐसा ही क्यों होता है...

--- स्वरचित ---

Thursday, January 27, 2011

POVERTY & GHOSTS (27th Jan 2011)


The ghosts arrive

Snatching away
Even their little joy
Poverty has bestowed
To be just alive!

Good food is a rare sight
Surrounded by fully armed men
Drinking water is precious
Dead bodies
Oh, one can find them everywhere!

Thirst, hunger, sickness
No work, grains or even rain
The ghosts don't even hesitate
Exploiting poverty for dollars
To splurge on their ivory towers!

Johnny D
8th August 2009

Wednesday, January 26, 2011

पल (27th Jan 2011)

कष्ट उठाना तो अब ज़िन्दगी बन गयी है!
कुछ पल ख़ुशी के मिल जाये, 'डी' ज़िन्दगी गुजर जाएगी!!

प्यासे हिरन की तरह ढूँढ रहा है हर कोई!
पल हर पल मिलता भी है तो बस तृष्णा चारो ओर!!

पल गुजर जाता है,
पल फिर से आता है!
पल पल मगर जीना,
मौत के और करीब लाता है!!

--- स्वरचित ---

अर्ज करता हूँ... (26th Jan 2011)

मेरा कातिल मुझसे कितना प्यार करता है
मेरा कातिल, मुझसे कितना प्यार करता है
पहले क़त्ल करता है मेरा
पहले, क़त्ल करता है मेरा
फिर मुझसे पूछता है
तू मर गया ना?

--- स्वरचित ---

Tuesday, January 25, 2011

अर्ज करता हूँ... (25th Jan 2011)


दर्द नासूर बन चुका है ज़िन्दगी में
मौत ही छुटकारा दिला सकती है अब तो 
अपनों ने नफरत से मौत की ओर धकेला मगर
गैरों ने बाहें संभाल कर ज़िन्दगी दे डाली 
जीने लगे हम दर्द को सीने में दबाये 
हमने हँसना भी सीख लिया था मगर 
अपनों को कब ये गवारा होता
कि हमारी दर्द भरी ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी है

दर्द नासूर बन चुका है ज़िन्दगी में
मौत ही छुटकारा दिला सकती है अब तो ...


--- स्वरचित --- 


Sunday, January 23, 2011

खुदा लापता है क्यों? (23rd Jan 2011)

खुदा लापता है क्यों?

ढूंढ रहा है हर शक्श इन्हें
जब से जहान आबाद हुआ
मिला भी अगर किसी से
खुद खुदा का बंद कहकर
इंसान ये मानने को तैयार नहीं हुआ,
खुदा है लापता ये सबको है पता

हर धर्म अपने ही ढंग से
खुदा का इबादत है करता
कोई नमाज़ अदा करके
तो कोई आरती करके
खुदा मगर बहरा तो नहीं
कि हर कोई बस यूँ ही शोर करता

बिकतें है इंसानों के बाजारों में
खुदा की तस्वीरें, पुतले और चीज़ें हज़ार
बदल गएं है इबादत का सलीखा
खुद खुदा के बनाये इस जहान में
लापता हो कर भी खुद खुदा
हर शक्श में है बसता

कोई माने या ना माने
खुदा है, ये सबको है पता
कैसा है खुदा, कौन है खुदा
नहीं पर कोई ये कह सकता
कोई भी चूकता नहीं मागने से
खुदा है कि सबको कुछ ना कुछ ज़रूर है देता

खुदा की खुदाई प्यार करने को है कहता
एक इंसान है कि खुदा की खुदाई पर ही झगड़ता
मर जाते है कई, मारे जाते है कई
हर वक़्त मगर खुदा ही बदनाम होता
खुदा अगर लापता नहीं होता
तो पता नहीं उनका अंजाम क्या होता?

--- स्वरचित --- 

Saturday, January 22, 2011

GARIB HONA... (23rd Jan 2011)

गरीब होना एक गुनाह है 
जिसे रोज मरना पड़ता है औरो के लिए...
अमीर बनते हैं इन्ही गरीबों के वजह से, मगर
हर खून का बूंद जब तक ये वहशी ना चूस ले
इन्हें चैन कहाँ... 



--- स्वरचित ---

अर्ज करता हूँ... (22nd Jan 2011)

अर्ज करता हूँ...

जहाँवाले अगर समझ जाये इसे!
मुश्किलें खुद-ब-खुद आसान हो जाये!!

मोहब्बत करनेवाले जो अमर हो चुके है इश्क के खातिर! 
अपने कब्र में बेसब्री के करवटें लेते होंगे आज की हालात देख कर!! 

ना समझ होकर हमने पहले इश्क किया
दर्द-ए-दिल को समझाया मगर धोखा खाया
हिम्मत किया, फिर से इश्क फ़रमाया समझ कर
इस बार भी दिल टूटा और संभल नहीं पाया 
दुनियावालों ने बहुत समझाया मगर
इस दिल का मैं क्या करूँ
जो हर पल और हाल में मोहब्बत चाहता है?

--- स्वरचित ---


Friday, January 21, 2011

अर्ज करता हूँ... (21st Jan 2011)

अर्ज करता हूँ...

आवाज़ मत देना अब मुझको तुम पीछे से!
न चाहते हुए भी बहुत दूर निकल आयें हैं अब!!

रुखसत तो किया नहीं तहे-ए-दिल से तुमने मुझको!
अब ये बेचैनी क्यों और फिर किसके लिए!!

तुम्हारा हाफना और कुछ न कह पाना, आँखें प्यार से भरी हुई!
तुम्हारे मोतियों को मैं ज़िन्दगी भर अपने दिल से लगा के रखूंगा!!

जा रहा हूँ मैं न चाह कर भी,
आज दर्द भर गया है इस दिल में!
जिस में हर पल प्यार बसा रहता था,
अब तो तन्हाई में ही तुमसे मिलता रहूँगा!!

--- स्वरचित ---






Wednesday, January 19, 2011

अर्ज करता हूँ... (20th jan 2011)

दर्द का आलम भी क्या आलम है 'डी'
जब बांटना सीख गए औरो की...
तो मिलता है सुकून इस दर्द-ए-दिल को...
बयां करें भी तो न समझ सकेगी ये दुनियावाले ...

--- स्वरचित ---

Sunday, January 16, 2011

स्कैम का दौर (16th Jan 2011)

स्कैम का दौर 

है कोई नेता ऐसा इस जहाँ में,
जो अपनी सफ़ेद खादी के पोशाक
की तरह बेदाग़ निश्चल हो
इस स्कैम के दौर में

हकीकत तो ये है कि
नेताओ की दौड़ में
कौन किस से आगे निकल जाये
डर है हर किसी को आज

मैं अगर नहीं खता हूँ
तो साला वो ज़रूर से खायेगा
फिर मेरा क्या होगा
मैं सत्यवादी हरिश्चंद्र तो नहीं

गरीबों का क्या है
थोड़े दिन चिल्लायेंगे और फिर
रोजमर्रा के भोझ तले
शांत हो कर दम तोड़ देंगे

सफ़ेद पोशाक के ये झोंक
ड्राकुला से भी है भयंकर
चाहे ये कभी खा न सके सारा दौलत
गरीबों का खून मगर चूसेंगे ये ज़रूर
 
--- स्वरचित --- 





अर्ज करता हूँ... (16th Jan 2011)

अर्ज करता हूँ...

लड़कड़ा हम गए तो क्या हुआ,
लड़कड़ा, हम गए तो क्या हुआ!
हम चलना थोड़े ही छोड़ देंगे 'डी'!!

उठ कर चलना हमारी मज़बूरी नहीं,
उठ कर चलना, हमारी मज़बूरी नहीं!
ये तो इस ज़िन्दगी का दस्तूर है!!

चोट खाता है हर कोई इस सफ़र में
चोट, खाता है हर कोई इस सफ़र में!
दर्द के बाद...
दर्द के बाद, एक अजब सा सुकून का अहसास है!!

--- स्वरचित --- 

Friday, January 14, 2011

कौन कितनी दूर तक साथ देगा (14th Jan 2011)

कौन कितनी दूर तक साथ देगा

राह में चलते-चलते मिल जाते है कई हमसफ़र

राह में, चलते-चलते, मिल जाते है कई हमसफ़र
कौन कितनी दूर तक साथ देगा
कौन, कितनी दूर तक साथ देगा
ये तो सफ़र में ही पता चलेगा...

हमें तो बस चलते चले जाना है
हमें, तो बस चलते चले जाना है
एक मंजिल से दूसरी की ओर...
जब तक की अंतिम टहराव न मिल जाये 
हमें तो बस चलते चले जाना है....

--- स्वरचित ---

चंद शेर (13th Jan 2011)

इतनी नफरत है इस जहान में मगर
इतनी, नफरत है इस जहान में मगर
एक छोटा सा आशियाना प्यार का
एक छोटा सा, आशियाना प्यार का
ये मिटा नहीं सकी इस जहान से अब तक... 

गुजर गए हैं सदियों नफरत की दुनिया में
गुजर गए हैं, सदियों नफरत की दुनिया में
जहाँ प्यार करना गुनाह समझा जाता है
गुनाहों के देवता को ये कोई कैसे समझाएं
कि नफरत ही तो प्यार की पहली सीढ़ी है 

*****     *****     *****
प्यार बदल जाता है नफरत में क्यों
चाह जब सबकी बस प्यार की है
प्यार बदल जाता है नफरत में क्यों
चाह जब सबकी बस प्यार की है

*****     *****     *****

न कर अपने साया का भी ऐतबार 'डी'
न जाने कब ये लुप्त हो जायेगा...

*****     *****     *****
'डी' ज़िन्दगी पल दो पल में सिमट जाएगी
मुस्कुराले खुल कर वर्ना मौत गले लगा लेगी

*****     *****     *****
चंद आँसूंओं की कीमत क्यों हम ग़म को बनाएं
चमकते मोती हैं ये 'डी',
चमकते, मोती हैं ये 'डी',
इन्हें आभूषण की तरह सजाएं तो बेहतर होगा

--- स्वरचित ---

Thursday, January 13, 2011

चंद शेर (13th Jan 2011)

न कर अपने साया का भी ऐतबार 'डी'
न जाने कब ये लुप्त हो जायेगा...

'डी' ज़िन्दगी पल दो पल में सिमट जाएगी
मुस्कुराले खुल कर वर्ना मौत गले लगा लेगी

चंद आँसूंओं की कीमत क्यों हम ग़म को बनाएं
चमकते मोती हैं ये 'डी',
चमकते, मोती हैं ये 'डी',
इन्हें आभूषण की तरह सजाएं तो बेहतर होगा

--- स्वरचित ---

Tuesday, January 11, 2011

WHEN YOU ARE NOT WITH ME (11th Jan 2011)

P.S: Missing Mamman ( I used to call her),
who adopted this orphan and showered
her selfless love & care...

WHEN YOU ARE NOT WITH ME

Thoughts hit like waves
As moments wash away 
Slipping away under my feet
Eyes searching the horizon
A glimmer of hope
Washes away within
As tears roll down the soft cheeks
I find your smile in tears

*********  ********* *********
Your absence is indeed haunting
Yet, I embrace it with fondness
Your presence by my side
The smile I would die for
I know you are missing 
This very special moment
How I cherish your company
Without you, with you!

*********  *********  *********
I often see you all around
Laughing, teasing and loving
Your open arms inviting
I want to reach out
You laugh, I am sad
Yet again, like a child
I embrace you
The gasp of air just gushes away

*********  *********  *********
In my heart
Deep within
Your engraved presence
Can never be erased
Beating every second
Your name sounds so beautiful
Yes, when you are not with me
It is such a beautiful experience!

Johnny D
20th May 2009

Monday, January 10, 2011

दोस्ती निभाना (11 Jan 2011)

दोस्ती निभाना

समय, मैं और मेरी तन्हाई
हम तीनो ने हरदम है दोस्ती निभाई
कभी समय और मैं, मेरी तन्हाई का मजाक उड़ाते
तो कभी मैं और मेरी तन्हाई समय का
ऐसा भी होता है कभी-कभी
जब समय और तन्हाई मिलकर मेरा मजाक उड़ाते
फर्क इन तीनो ही स्तिथि की ऐसी है कि
हम में से किसी ने भी न की कभी एक-दूसरे से बेवफाई
साथ रहे या फिर अलग-अलग
हम तीनो ने हरदम है दोस्ती निभाई

--- स्वरचित ---

दर्द

दर्द मिल जाये अगर तुमसे कभी
दर्द, मिल जाये अगर तुमसे कभी
तो कह देना निडर होकर उससे 'डी'
कि हमने अपने ग़मो को श्याही से पिरोहा है
आंसू तो वो बहाते हैं जिन्हें तन्हाई का खौफ है

--- स्वरचित ---

अर्ज़ करता हूँ... (10th Jan 2010)

अर्ज़ करता हूँ...

नींद आँखों में नहीं, सोने का प्रयास है!
रात ये ढलती नहीं, 'डी' नए सुबह की आस है!!

*****     *****     *****
हमारी तन्हाई से जुदा तो कर दिया तुमने मगर!
अब तुम ही कहो 'डी' हम जियेंगे किस के सहारे!!

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ज़िन्दगी में तन्हाई होती है कितनी निराली,
ज़िन्दगी में, तन्हाई होती है कितनी निराली!
जिसे चाहिए उसे मिलती नहीं कभी,
जिसे चाहिए, उसे मिलती नहीं कभी,
जिसे मिलती है, वो शून्य में खो जाता है!!

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तेरी मेहरबानियों से तो बेहतर ग़मों से भरी वो ज़िन्दगी थी हमारी!
हमने ऐ ज़िन्दगी कब तुझे महेरबान होने को कहा था!!

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बहक जाये ये ज़िन्दगी भी तो क्या,
बहक जाये, ये ज़िन्दगी भी तो क्या!
इस ग़म को मगर 'डी' बहलायेगा कौन?

*****     *****     *****
न कर ऐतबार 'डी' इस ज़िन्दगी का
न कर, ऐतबार 'डी' इस ज़िन्दगी का!
क्या पता कौन से पल में ये धोका दे जायेगा!!

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'डी' एक तू ही नहीं है, जो इस दुनिया में तन्हा है
हर शक्श जो ये दावा करते हैं साथ होने का,
हर शक्श, जो ये दावा करते हैं साथ होने का
तन्हा है दुनिया के इस मेले में
एक तेरा ही नहीं जो रोता है दिल 
एक तेरा ही नहीं, जो रोता है दिल 
दिखा मुझे एक दिल जो हँसता है हर पल ज़िन्दगी में
दर्द तो होगा 'डी', संभाल भी जायेगा तू वक़्त-ए-तन्हाई
दर्द तो होगा 'डी', संभाल भी जायेगा तू वक़्त-ए-तन्हाई
कुछ सीख ले अब भी इस दुनिया से 
नहीं तो इस मेले में धक्खा देनेवाले बहुत से हैं!!

--- स्वरचित ---