Saturday, January 22, 2011

अर्ज करता हूँ... (22nd Jan 2011)

अर्ज करता हूँ...

जहाँवाले अगर समझ जाये इसे!
मुश्किलें खुद-ब-खुद आसान हो जाये!!

मोहब्बत करनेवाले जो अमर हो चुके है इश्क के खातिर! 
अपने कब्र में बेसब्री के करवटें लेते होंगे आज की हालात देख कर!! 

ना समझ होकर हमने पहले इश्क किया
दर्द-ए-दिल को समझाया मगर धोखा खाया
हिम्मत किया, फिर से इश्क फ़रमाया समझ कर
इस बार भी दिल टूटा और संभल नहीं पाया 
दुनियावालों ने बहुत समझाया मगर
इस दिल का मैं क्या करूँ
जो हर पल और हाल में मोहब्बत चाहता है?

--- स्वरचित ---


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