Friday, January 21, 2011

अर्ज करता हूँ... (21st Jan 2011)

अर्ज करता हूँ...

आवाज़ मत देना अब मुझको तुम पीछे से!
न चाहते हुए भी बहुत दूर निकल आयें हैं अब!!

रुखसत तो किया नहीं तहे-ए-दिल से तुमने मुझको!
अब ये बेचैनी क्यों और फिर किसके लिए!!

तुम्हारा हाफना और कुछ न कह पाना, आँखें प्यार से भरी हुई!
तुम्हारे मोतियों को मैं ज़िन्दगी भर अपने दिल से लगा के रखूंगा!!

जा रहा हूँ मैं न चाह कर भी,
आज दर्द भर गया है इस दिल में!
जिस में हर पल प्यार बसा रहता था,
अब तो तन्हाई में ही तुमसे मिलता रहूँगा!!

--- स्वरचित ---






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