Wednesday, May 25, 2011

जीवन और मृत्यु

आगोश मृत्यु का नहीं है खुलता
है जीवन ये जीवन तब तक 'डी'


सिमट जाना है सब को मगर
हर कोई है यहाँ पर बस जीता

हर कोई है जानता ये फलसफा
सत्य मगर से है हर कोई डरता

-- स्वरचित --

No comments: