Sunday, May 29, 2011

यादें

तुम्हें भुला कर ही अब तो याद करतें हैं हम 
तुम हो कि हमें याद करते-करते भूल गयी 

भूल से याद आ भी जाती है अगर तुम्हारी
तो हम याद से तुम्हें भूलना पसंद करेंगे 'डी' 

हर यादों में एक भूल याद आती है अब तो 
ये भूल मगर कितनी अनोखी सी प्यारी थी 

आज, कल भी तो वहीँ थी, फिर क्यों 'डी'
कल का वो आज, कहीं खो गया है कहाँ 

चलते-चलते बहुत दूर निकल आयें हैं हम तो 
अब तो क्षितिज भी धुंधला सा दिखता है 'डी'

--- स्वरचित ---

No comments: