Friday, June 3, 2011

भूख

भूख 

दो रोटी मैं भी खाता हूँ
दो रोटी वो भी खाता है

फर्क, बस इतना सा है... 

दो से ज्यादा मेरे पास नहीं है
वो दो से ज्यादा नहीं खा पाता

उसकी भूख दौलत से पूरी होती है
मेरी दौलत मेरी गरीबी है दुनियावालों

--- स्वरचित --- 
३ जून २०११ 


No comments: