Saturday, March 12, 2011

अर्ज है...

बहते हैं जब प्यार में आंसू
भीग जातें है गाल बेवजह  
'डी' होटों को छूते ही मोती
मुस्कुराहट में बदल जाती है 

कहा है जिसने भी
इश्क में बस रोना ही रोना है
इश्क किया होता 'डी' उसने अगर
उन मोतियों की कदर जान जाता वो 

--- स्वरचित ---

No comments: