Tuesday, October 11, 2011

टूट जाता है ये दिल

टूट जाता है ये दिल
फिर भी धड़कता है ये मगर...

ज़िन्दगी भर रोता है इंसान 
फिर भी मुस्कुराता है ये मगर...

बिछड़ जाते हैं प्यार करनेवाले
फिर भी आस लगाये जीता है ये मगर...

इसकी ताक़त का कोई जवाब नहीं
दुनियावाले समझते इसे क्यों कमजोर हैं मगर...

टूट जाता है ये दिल
फिर भी धड़कता है ये मगर...

--- स्वरचित ---
१८ जून २०११ 



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