Monday, August 1, 2011

स्वराज नहीं है आज राज्य में

स्वराज नहीं है आज राज्य में
हैं अब सब ग़ुलाम देखो यहाँ

एक था वो भी भारत जब
हर शक्श था शहीद होने को तैयार 

आज अपने ही देश में ग़ुलामी है सब को मंज़ूर
हैं ये विड़म्बना कैसा, है ये देश मेरा कैसा 'डी'?

बालगंगाधर तिलक के पुण्य तिथि पर, सत सत प्रणाम!   

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