मेरा ये जहान
छुट गया इस जहान से इक जहान मगर
छुट गया, इस जहान से इक जहान मगर
तन्हाई में रहने की अब आदत सी हो गयी है!
भीड़ बेचैन कर देती है है मुझको ऐ दुनियावालो
भीड़, बेचैन कर देती है मुझको, ऐ दुनियावालो
अकेले जीने का दर्द-ओ-सुकून 'डी' कैसे बयान करूँ!!
--- स्वरचित ---
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