अर्ज है...
मर-मर कर जीने से अच्छा तो जी कर मरना है 'डी'
अब किसको क्या प्यारा है, दुनियावाले अब तू ही बता
खुदा ने बनाया है तुझे कुछ हासिल करने के लिए
यूँ मुख्बधिर बनकर तू देखता है क्या?
मुख्बधिर तो करता है कोशिश कि बोल सके कुछ
ये बोलनेवाले 'डी' चुप क्यों हैं मगर?
मुख्बधिर तो करता है कोशिश कि बोल सके कुछ
ये बोलनेवाले 'डी' चुप क्यों हैं मगर?
--- स्वरचित ---
No comments:
Post a Comment