बीते हुए हसीन वो पल आँखों में सजाया करते हैं
नींद न आये तो उनसे बातें करते हैं तन्हाई में हम
क्या वो भी ऐसे ही करती होगी रातों की तन्हाई में
पल तो हसीन थे उनके लिए भी 'डी' जो गुजरे थे संग
ये कैसी है उलझन दोनों की ज़िन्दगी में हे खुदा
खुलूस का सबब जान लेते पहले तो बेहतर होता
--- स्वरचित ---
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