लाखों है रंग चमन में लेकिन हर रंग है फीका खून के रंग से...
कैसे भरूँ 'डी' इस चित्र में रंग
हर रंग तो फीका है ज़माने में....
क्या ये चित्र कभी होगी रंगीनक्या इसमें भरे जायेंगे सभी रंगरंग जो मुझे चाहिए इस चित्र के लिएजहान में अब तक 'डी' मिले नहीं क्यों..
कहाँ मिलेगा भगत सिंह वाला बसंती रंग मुझे?
लाल बहादुर शास्त्री वाला श्वेत क्या मिलेगा कभी?
नेताजी वाला रंग लाल गर्म लहू से सिंचा हुआ?
आजाद जैसा इन्द्रदनुशी रंग कहाँ से लाऊँ मैं?
श्वेत-श्याम में ये अधुरा चित्र
पुकार रहा है रंगों को
बेरंग न रह जाये ये चित्र
आओ इस चित्र को रंगीन बनाये
--- स्वरचित --- (The poem is still developing...)
लाखों है रंग चमन में लेकिन
हर रंग है फीका खून के रंग से...
कैसे भरूँ 'डी' इस चित्र में रंग
हर रंग तो फीका है ज़माने में....
कैसे भरूँ 'डी' इस चित्र में रंग
हर रंग तो फीका है ज़माने में....
क्या ये चित्र कभी होगी रंगीन
क्या इसमें भरे जायेंगे सभी रंग
रंग जो मुझे चाहिए इस चित्र के लिए
जहान में अब तक 'डी' मिले नहीं क्यों..
कहाँ मिलेगा भगत सिंह वाला बसंती रंग मुझे?
लाल बहादुर शास्त्री वाला श्वेत क्या मिलेगा कभी?
नेताजी वाला रंग लाल गर्म लहू से सिंचा हुआ?
आजाद जैसा इन्द्रदनुशी रंग कहाँ से लाऊँ मैं?
श्वेत-श्याम में ये अधुरा चित्र
पुकार रहा है रंगों को
बेरंग न रह जाये ये चित्र
आओ इस चित्र को रंगीन बनाये
कहाँ मिलेगा भगत सिंह वाला बसंती रंग मुझे?
लाल बहादुर शास्त्री वाला श्वेत क्या मिलेगा कभी?
नेताजी वाला रंग लाल गर्म लहू से सिंचा हुआ?
आजाद जैसा इन्द्रदनुशी रंग कहाँ से लाऊँ मैं?
श्वेत-श्याम में ये अधुरा चित्र
पुकार रहा है रंगों को
बेरंग न रह जाये ये चित्र
आओ इस चित्र को रंगीन बनाये
--- स्वरचित --- (The poem is still developing...)
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