अर्ज करता हूँ...
हम को हँसता देखकर ज़माने ने बो डाले और भी काँटे पथ पर
हम को हँसता देखकर, ज़माने ने बो डाले और भी काँटे पथ पर!
उन्हें ये पता नहीं मगर, हम तो काँटो के सेज पर सोते हैं रोज!!
सैलाब ना आ जाये दुनिया में
सैलाब, ना आ जाये दुनिया में
दर्द को दिल में दबाकर इसीलिए जी रहें 'डी'
--- स्वरचित ---
हम को हँसता देखकर ज़माने ने बो डाले और भी काँटे पथ पर
हम को हँसता देखकर, ज़माने ने बो डाले और भी काँटे पथ पर!
उन्हें ये पता नहीं मगर, हम तो काँटो के सेज पर सोते हैं रोज!!
सैलाब ना आ जाये दुनिया में
सैलाब, ना आ जाये दुनिया में
दर्द को दिल में दबाकर इसीलिए जी रहें 'डी'
--- स्वरचित ---
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