Sunday, January 16, 2011

अर्ज करता हूँ... (16th Jan 2011)

अर्ज करता हूँ...

लड़कड़ा हम गए तो क्या हुआ,
लड़कड़ा, हम गए तो क्या हुआ!
हम चलना थोड़े ही छोड़ देंगे 'डी'!!

उठ कर चलना हमारी मज़बूरी नहीं,
उठ कर चलना, हमारी मज़बूरी नहीं!
ये तो इस ज़िन्दगी का दस्तूर है!!

चोट खाता है हर कोई इस सफ़र में
चोट, खाता है हर कोई इस सफ़र में!
दर्द के बाद...
दर्द के बाद, एक अजब सा सुकून का अहसास है!!

--- स्वरचित --- 

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