दर्द नासूर बन चुका है ज़िन्दगी में
मौत ही छुटकारा दिला सकती है अब तो
अपनों ने नफरत से मौत की ओर धकेला मगर
गैरों ने बाहें संभाल कर ज़िन्दगी दे डाली
जीने लगे हम दर्द को सीने में दबाये
हमने हँसना भी सीख लिया था मगर
अपनों को कब ये गवारा होता
कि हमारी दर्द भरी ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी है
दर्द नासूर बन चुका है ज़िन्दगी में
मौत ही छुटकारा दिला सकती है अब तो ...
--- स्वरचित ---
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