इतनी नफरत है इस जहान में मगर
इतनी, नफरत है इस जहान में मगर
एक छोटा सा आशियाना प्यार का
एक छोटा सा, आशियाना प्यार का
ये मिटा नहीं सकी इस जहान से अब तक...
गुजर गए हैं सदियों नफरत की दुनिया में
गुजर गए हैं, सदियों नफरत की दुनिया में
जहाँ प्यार करना गुनाह समझा जाता है
गुनाहों के देवता को ये कोई कैसे समझाएं
कि नफरत ही तो प्यार की पहली सीढ़ी है
***** ***** *****
प्यार बदल जाता है नफरत में क्यों
चाह जब सबकी बस प्यार की है
प्यार बदल जाता है नफरत में क्यों
चाह जब सबकी बस प्यार की है
***** ***** *****
न कर अपने साया का भी ऐतबार 'डी'
न जाने कब ये लुप्त हो जायेगा...
***** ***** *****
'डी' ज़िन्दगी पल दो पल में सिमट जाएगी
मुस्कुराले खुल कर वर्ना मौत गले लगा लेगी
***** ***** *****
चंद आँसूंओं की कीमत क्यों हम ग़म को बनाएं
चमकते मोती हैं ये 'डी',
चमकते, मोती हैं ये 'डी',
इन्हें आभूषण की तरह सजाएं तो बेहतर होगा--- स्वरचित ---
No comments:
Post a Comment