दर्द, साथ छूट जाने पर जो होता है
वो सिर्फ दर्द बर्दास्त करनेवाला ही जानता है
हर कोई इस दर्द से वाकिफ़ है मगर हर दर्द का अंजाम मगर अनोखा होता है
चले जातें हैं ‘डी’ जानेवाले मगर
रहनेवालों का गुज़र कहाँ होता है
ऐ खुदा तू देता है खुशियाँ मगर
दर्द से उन्हें क्यों जोड़ देता है....
--- स्वरचित ---
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