My World, My Emotions
All that erupts from my heart are on this page...
Wednesday, August 3, 2011
था वो भी कितना सुन्दर ज़माना 'डी'
काग़ज़ की नाव, बारिश के दिन
भीगा बदन, कपडे मट्टी से लतपत
उलास भरे वो दिन आ न पाएंगे दोबारा
दिल में उमंग आज भी बरक़रार है वैसे ही
था वो भी कितना सुन्दर ज़माना 'डी'
था वो भी कितना सुन्दर ज़माना 'डी'...
--- स्वरचित ---
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