जब कभी खोता हूँ मैं अपनी दुनियाँ में
जब कभी, खोता हूँ मैं अपनी दुनियाँ में
तेरी दुनियाँ को भूल जाता हूँ मैं ऐ खुदा
तेरी दुनियाँ से अलग मेरी दुनियाँ तो नहीं
फिर जब कभी खोता हूँ मैं अपनी दुनियाँ में
क्यों मैं तेरी दुनियाँ से अलग हो जाता हूँ ऐ खुदा?
--- स्वरचित ---
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